Home
डॉ. रवीन्द्र नारायण पहलवान
इस वेबसाइट के माध्यम से आप डॉ. रवीन्द्र नारायण पहलवान द्धारा उनके विभिन्न क्षेत्रों में किये गए सृजनात्मक कार्यों के बारे में जान सकते हैं एवं उनकी लिखी E-Books को पढ़ सकते हैं ।
मैं हूँ
मैं एक जिज्ञासु व्यक्ति हूँ । ज्ञान की खोज मेरी प्रकृति और प्रवर्ती है । ओशो जब आचार्य रजनीश रहे तब जबलपुर में उन्हें नज़दीक से सुनने और गुनने का सुअवसर मिला । श्री जे. कृष्णमूर्ति को पढ़ने का अवसर भी मिला ।
ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद का गहन अध्ययन मेरा सौभाग्य है । नैनी का मान्टेसरी स्कूल, महारानी लक्ष्मी बाई कन्या विद्यालय सीहोर, शा. सुभाष मिडिल स्कूल सीहोर में मेरी प्रारम्भिक शिक्षा हुई । श्री पीताम्बर शर्मा मेरे प्रिय गुरु रहे, उनके हस्ताक्षर वाला एक प्रमाण पत्र आज भी मेरे पास सुरक्षित है । सीहोर के आदरणीय अलोपीदीन और श्रीमती प्रियम कुलश्रेष्ठ ने अंग्ल भाषा का का ज्ञान दिया ।
साहित्य के प्रति बचपन से ही प्रेम रहा, शायद इसी का परिणाम है 10 पुस्तकों का सृजन । फोटो खींचना, फिल्म डबल्प करना, प्रिन्ट बनाना और इन्लार्जमेन्ट करना स्कूल दिनों में ख़ूब किया । एक छायाचित्र मास्को की प्रदर्शनी तक पहुँच गया । सायकल पोलो खेला और राष्ट्रीय स्पर्धा में पहुँच गए । फिलेटेली में गहरी रुचि ली, इण्डिया फेडेटरी स्टेट के अंतर्गत भोपाल रियासत के संग्रह में अंतर्राष्ट्रीय पदक जितना सौभाग्य की बात रही, तत्कालीन इंडियन कमिश्नर श्री एम.ए.राव सहज ही याद आते हैं ।
माँ श्रीमती राजरानी पहलवान और पिता पं. राजेन्द्र नारायण पहलवान का आशीर्वाद और कुशल मार्गदर्शन मेरी सफलता का रहस्य है । श्रीमती विनीता संजय जगदाले, डॉ. उषा दर, श्रीमती आभा सिन्हा, श्रीमती मीनाक्षी शाह सभी मेरी प्यारी बहनों का स्नेह और प्रेम के लिए मैं उनका ऋणी रहूँगा । डॉ. दीप पहलवान और श्री प्रदीप पहलवान ने हर व्यवहार में आदर दिया है । श्रीमती निशा पहलवान के प्रति मैं प्रयस् भाव प्रकट करता हूँ । श्रीमती ऋतु सुन्दर गुर्जर सुपुत्री और श्रीमती प्रीति प्रदीप पहलवान सुपुत्री तुल्य स्नेह के पात्र हैं । युग, कार्तियेक और सुप्रिया के प्रति स्नेह भाव प्रकट करता हूँ । श्री रमेश प्रसाद विश्वकर्मा सहपाठी, श्री रमेश कुमार नायक कार्यालय के साथी, श्री सुधीर जैन फिलेटेली, श्री ओ.पी. सोनी फोटोग्राफर, श्री सुरेन्द्र मुल्ये सायकल यात्री, श्री राकेश शर्मा साहित्यकार, पी डी जी रो. डॉ ज़ामिन हुसैन रोटरी ; आप सभी मित्रों की सूची में क्रमांक एक पर हैं । इनके साथ साहचर्य अनिवार्य अंग है ।
रोटरी अंतर्राष्ट्रीय से क्लब बिल्डर एवार्ड और रोटरी अंतर्राष्ट्रीय मण्डल से रोटरी रत्न एवार्ड मेरी सफलता के सितारे हैं । पी डी जी द्वय रोटेरियन आलोक बिल्लौरे और रोटेरियन लोकेन्द्र पापालाल का स्नेह पाकार मैं धन्य हुआ । रोटेरियन डॉ. नलिनी लंगर और रोटेरियन रवि प्रकाश लंगर का रोटरी अंतर्राष्ट्रीय मण्डल-3040 में पूर्व मण्डलाध्यक्ष होना मेरे लिए गर्व की बात है। भारत संचार निगम लिमिटेड मेरी श्वांस है, जिसने मुझे भारत संचारदूत बनाया ।
पत्थर निर्जीव हैं, मुझे उनसे भी प्रेम है, मेरे संग्रह में कुछ दुर्लभ पत्थर हैं । सत्य के मेरे प्रयोग, मेरी कहानी और एट दी फीट ऑफ दी मास्टर पुस्तकों ने मुझे बहुत प्रभावित किया है । मैंने कभी भी किसी दूसरे जैसा बनने का प्रयास नहीं किया, इसलिए मैं, मैं ही बना रहा ।
- रवीन्द्र नारायण पहलवान
प्रतिनिधि कविताएं
अब मुझे
अब मुझे
उसकी बिंदिया दिखती नहीं
अब मुझे
उसकी पायल की आवाज़ सुनाई देती नहीं
अब मुझे
उसकी ख़ुशबू आती नहीं
आप क्या सोचते हैं?
मैं बूढ़ा हो गया हूँ
अब नायक के लायक नहीं
अभी कल ही की तो बात है
माधुरी आई
और मेरा महानगर बौरा गया
नायक बनने के लिए,
कोई निर्धारित उम्र नहीं है
आख़िर मक़बूल भी तो फ़िदा है
उनके सौंदर्य और श्रृंगार पर
ध्यान इसलिए केन्द्रित नहीं हो पाता
क्योंकि -
अब मुझे
आकाश को छत समझ
जीते लोग दिखाई देने लगे हैं
अब मुझे
रोटी के लिए
ललचाई आँखें दिखाई देने लगी हैं
अब मुझे
भूख से पिचके पेट दिखाई देने लगे हैं
हमने बहुत तरक्क़ी की है
हम बिना चीर-फाड़ के
ऑपरेशन कर सकते हैं
हमने बहुत तरक्क़ी की है
हम देश-विदेश में पल भर में
दूरभाष पर बात कर सकते हैं
हमने बहुत तरक्क़ी की है
हम चाँद पर
घूम सकते हैं
हम कुछ ही घंटों में
अमेरिका पहुँच सकते हैं
हमने बहुत तरक्क़ी की है
हम मंगल पर
यान उतार सकते हैं
बस केवल इतनी तरक्क़ी करना बाक़ी है
कि इंसानों के दिलों में उतर सकें
कुत्ता बहुत ख़तरनाक था
काट लिया
सीने पर दायें और,
कुछ दिनों में घाव भर गया
और अब केवल निशान रह गया है
जिसका सम्मान किया था
बड़ी धूमधाम से
दूसरे ही दिन शब्दों से घाव किया दिल में
घाव आज भी भरा नहीं
टीस उठती है कभी-कभी
कुत्ते के काटने पर
14 इन्जेक्शन काफ़ी हैं
इन्सान के काटे का इंजेक्शन
इज़ाद होना बाक़ी है
कुछ झलकियाँ
Previous
Next
पीडीऍफ़ eBook डाउनलोड करने
और पढ़ने के लिए यहाँ जाए
कविताओं की आत्मा
डॉ. रवीन्द्र पहलवान की कविताएँ यथार्थवादी हैं। यथार्थ ही कविताओं की आत्मा है, कन्सेप्शन है ।
- शीला राजेन्द्र दुबे, मुम्बई
5/5
डॉ. प्रभाकर माचवे
डॉ. पहलवान की प्रश्न और उत्तर शीर्षक की कविता, डॉ. प्रभाकर माचवे ने चौथा संसार समाचार पत्र के संपादकीय में शामिल की थी।
- शिवनाथ सिंह तोमर
5/5
विचार मंथित
मुझे आपकी छोटी-छोटी कसी हुई रचनाओं ने सर्वाधिक प्रभावित किया। रचनाएँ भाव-प्रवण, विचार मंथित एवं कलात्मक ढंग से कसी हुई प्रभावी हैं ।
- चन्द्रसेन विराट
5/5
मुहाफ़िज़
मूल्यों की जो हालत इन दिनों हो रही है, इसमें इनका मुहाफ़िज़ होकर ये संकलन आया है ।
- नईम
5/5